बर्मिंघम:
भारतीय क्रिकेट टीम को बर्मिंघम के मैदान पर अभी भी पहली जीत का इंतज़ार है। यहां अब तक खेले गए 8 मुकाबलों में टीम को 7 बार हार का सामना करना पड़ा है, जबकि एक मुकाबला ड्रॉ रहा है। इंग्लैंड के अन्य मैदानों की बात करें तो मैनचेस्टर और साउथैम्प्टन में भी जीत का स्वाद नहीं चख सकी है टीम इंडिया। ऐसे में बर्मिंघम में होने वाला अगला मैच उसके लिए बेहद अहम होने जा रहा है।

लीड्स में पिछड़ी टीम इंडिया
पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले में भारत को लीड्स में 5 विकेट से हार झेलनी पड़ी। बेन स्टोक्स की कप्तानी में इंग्लैंड ने सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। इस मैच में भारत की शुरुआत अच्छी रही थी। टॉप ऑर्डर ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाजों से उम्मीद के मुताबिक सहयोग नहीं मिला। पहली पारी में अंतिम 7 विकेट केवल 41 रन के भीतर गिर गए। एक समय टीम का स्कोर 500 के पार जाता दिख रहा था, लेकिन अंततः भारत 471 रन पर ऑलआउट हो गया।
शुभमन गिल की कप्तानी पर नजरें
टीम की अगुवाई कर रहे 25 वर्षीय शुभमन गिल की कप्तानी पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं। रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद गिल ने यह ज़िम्मेदारी संभाली है। बतौर बल्लेबाज उन्होंने पहली पारी में 147 रनों की शानदार पारी खेली और अपने फॉर्म का परिचय दिया। हालांकि कप्तान के रूप में वह अभी प्रभाव छोड़ने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं।
गेंदबाजी और निचले क्रम की चिंता
दूसरी पारी में मोहम्मद सिराज, जसप्रीत बुमराह और प्रसिद्ध कृष्णा रन बनाने में नाकाम रहे। भारत ने अपने अंतिम 6 विकेट सिर्फ 32 रन के भीतर गंवा दिए। तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा ने भी माना है कि निचले क्रम का बल्लेबाजी में योगदान देना जरूरी है और इस दिशा में नेट्स पर काम किया जा रहा है।
अब जबकि सीरीज में वापसी करने का दबाव है, बर्मिंघम टेस्ट टीम इंडिया के लिए निर्णायक हो सकता है। गिल की कप्तानी, गेंदबाजों की धार और निचले क्रम का सहयोग—ये सभी कारक इस मुकाबले की दिशा तय करेंगे।