बरेली उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत एक और अहम कार्रवाई सामने आई है। एंटी करप्शन संगठन, बरेली की टीम ने फरीदपुर थाने में तैनात उपनिरीक्षक सुनील कुमार वर्मा को शुक्रवार दोपहर रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि दरोगा एक केस को कमजोर करने के एवज में ₹10,000 की रिश्वत मांग रहा था।
कौन है गिरफ्तार दरोगा?
गिरफ्तार किए गए उपनिरीक्षक की पहचान सुनील कुमार वर्मा पुत्र स्वर्गीय रामपाल सिंह, निवासी रसीदपुर गढ़ी, थाना कोतवाली शहर, जनपद बिजनौर के रूप में हुई है। वर्तमान में वह विष्णु विहार कॉलोनी, ज्यालानगर, थाना सिविल लाइंस, रामपुर में रह रहा था और फरीदपुर थाना, बरेली में तैनात था।
क्या था पूरा मामला?
फरीदपुर क्षेत्र के भगवंतापुर निवासी रेहान अंसारी ने एंटी करप्शन कार्यालय में शिकायत की थी कि दरोगा सुनील वर्मा एक दर्ज मुकदमे में आरोपियों को राहत देने के बदले ₹10,000 की मांग कर रहा है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने सुनियोजित योजना के तहत कार्रवाई का निर्णय लिया।
एंटी करप्शन टीम की ट्रैप कार्रवाई
सीओ एंटी करप्शन के निर्देश पर प्रभारी निरीक्षक प्रवीण सान्याल के नेतृत्व में एक ट्रैप टीम गठित की गई। तय योजना के अनुसार, शुक्रवार दोपहर लगभग 12:30 बजे, फरीदपुर थाने के परिसर में मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे, जैसे ही दरोगा ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की रकम ली, टीम ने उसे मौके पर ही साक्षीगण की उपस्थिति में गिरफ्तार** कर लिया।
विधिक कार्रवाई और अगला कदम
गिरफ्तारी के बाद दरोगा सुनील वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेजने की प्रक्रिया जारी है और मामले की विस्तृत जांच चल रही है।
भ्रष्टाचार पर सरकार का कड़ा रुख
यह कार्रवाई एक बार फिर दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाए हुए है। मुख्यमंत्री *योगी आदित्यनाथ* कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि “भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” पुलिस महकमे में इस प्रकार की निरंतर कार्रवाई यही संकेत देती है कि अब भ्रष्टाचारियों के लिए कोई जगह नहीं बची है।
Government should take strong action against correction