राज्य सरकार को चार सप्ताह में दाखिल करना होगा जवाब
कानपुर के जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. हरीदत्त नेमी के बीच चल रहा विवाद अब न्यायालय की चौखट तक पहुंच चुका है। डॉक्टर नेमी के निलंबन के खिलाफ दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उन्हें बड़ी राहत दी है।
19 जून को हुआ था निलंबन
राज्य सरकार ने 19 जून को डॉक्टर हरीदत्त नेमी को निलंबित कर श्रावस्ती के अतिरिक्त CMO डॉ. उदयनाथ को उनकी जगह कानपुर नगर में तैनात करने का आदेश जारी किया था। यह कार्रवाई कानपुर के डीएम और CMO के बीच कथित विवाद के बाद की गई थी।
हाईकोर्ट का फैसला: आदेशों पर रोक
डॉ. नेमी ने इस निलंबन को हाईकोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि बिना किसी पूर्व जांच और सुनवाई के इस प्रकार का निलंबन आदेश नियमों के अनुरूप नहीं है।

अदालत ने न सिर्फ निलंबन आदेश, बल्कि डॉ. उदयनाथ की नियुक्ति पर भी अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करे।
याचिकाकर्ता का पक्ष
डॉ. नेमी की ओर से अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने दलील दी कि सरकार ने बिना जांच के केवल आरोपों के आधार पर निलंबन किया है, जबकि लगाए गए आरोप इतने गंभीर नहीं हैं कि तुरंत निलंबन जरूरी हो। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि नियुक्ति पहले कर दी गई और निलंबन बाद में किया गया, जिससे प्रशासनिक पक्षपात की आशंका पैदा होती है।
अगली सुनवाई 18 अगस्त को
कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी और तब तक डॉ. हरीदत्त नेमी के निलंबन और उनके स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति के आदेश स्थगित रहेंगे।
कानपुर प्रशासनिक विवाद अब कानूनी मोड़ ले चुका है। हाईकोर्ट के इस आदेश ने डॉ. नेमी को फिलहाल बड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन अंतिम निर्णय अगली सुनवाई के बाद ही तय होगा।