झालावाड़ (राजस्थान), 25 जुलाई 2025 — राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोद गांव में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। यहां एक 35 साल पुरानी स्कूल इमारत की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 29 छात्र घायल हो गए।जिसमें 9 बच्चे गंभीररूप से घायल है हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस वाहनों पर पथराव किया और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
हादसे के बाद मचा हड़कंप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हादसा पिपलोद गांव के अपर प्राइमरी स्कूल में हुआ। सुबह की पहली कक्षा के दौरान अचानक स्कूल की पुरानी छत भरभराकर गिर गई। मलबे में दबकर 7 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 9बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल और मनोहर थाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
आठवीं तक की स्कूल में कल साथ कमरे हैं जिसमें चार कमरों में ही कक्षाएं संचालित होती है स्कूल में कल 73 विद्यार्थी हैं जिसमें शुक्रवार को 71 आए थे कई दिनों से हो रही बारिश शुक्रवार को भी जारी रही इस कारण सातवीं कक्षा में 35 और दूसरी कक्षा में 36 विद्यार्थी बैठे गए थे इस कमरे की छत गिरी जिसमें 35 विद्यार्थी थे दोनों कमरों की छत टपकती थी और बारिश का पानी रिश्ता था।आठवीं की छात्र तीन ने बताया सुबह 7:40 पर बारिश के दौरान कमरे में कंकर और बजरी के साथ पानी का रिसाव होने लगा तो उसने बाहर खड़े अपने शिक्षक जावेद को बताया लेकिन उन्होंने डांट कर चुप करा दिया । कुछ ही देर में छत गिर गई और 35 बच्चे दब गए दूसरे कमरे का कुछ हिस्सा भी गिर गया बताया जा रहा है कि स्कूल में मौजूद दोनों शिक्षक बाहर बात कर रहे थे तीन शिक्षक हादसे के कुछ देर बाद पहुंचे।
जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग कटघरे में
प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते नन्हे बच्चों की जान चली गई , पढ़ लिख कर जिंदगी में कुछ करने का सपना झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव स्थित छत के मलवे ने नीचे हमेशा के लिए दफन हो गया
जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) नरसो मीणा ने हादसे का कारण बारिश के पानी को बताया, जो स्कूल की पिछली दीवार से रिस रहा था। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रिंसिपल को पहले ही इस कमरे में कक्षाएं न लेने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग पर जर्जर इमारत की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
प्रधानाध्यापिका सहित 5 शिक्षक निलंबित, उच्च स्तरीय जांच के आदेश
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।साथ ही जिलाधिकारी को हटाया गया और स्कूल के प्रधानाध्यापिका सहित 5 शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री होने के नाते मैं जिम्मेदार हूं।हजारों भवन स्कूल जर्जर हालत में है ,जिनकी मरम्मत का काम शुरू के दिया गया है इस पर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च होंगे ।
प्रशासनिक लापरवाही पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा
गांव के सरपंच रामप्रसाद लोढ़ा ने बताया कि छत गिरने की सूचना मिलते ही वह जेसीबी मशीन लेकर मौके पर पहुंचे और मलबे में दबे 13 बच्चों को बाहर निकाला गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मौके पर कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं थी और घायल बच्चों को बाइक और टू-व्हीलर से अस्पताल पहुंचाया गया।
राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये और 1सदस्य को संविदा पर नौकरी देने की घोषणा की ।
“राष्ट्रपति मुर्मु व प्रधामंत्री ने घटना पर जताया दुख ,मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश “
पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प
घटना के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची तो आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव किया और जमकर हंगामा किया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया।
यह हादसा क्यों बना सवालिया निशान?
क्या प्रशासन ने समय रहते जर्जर भवन को नहीं देखा?
क्या विभाग की चेतावनियों का पालन नहीं किया गया?
स्कूलों की सुरक्षा पर आखिर कब होगा ठोस फैसला?
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