Kanpur nagar के बिल्हौर के ग्रामीण इलाकों में खुलेआम चल रहे अवैध क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टर अब सीधे लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे हैं। कानपुर के बिल्हौर क्षेत्र से एक दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां गर्भपात के दौरान लापरवाही से एक महिला की मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गर्भपात के दौरान हुई बड़ी लापरवाही

Kanpur nagar :शिवराजपुर के भग्गी निवादा गांव की रहने वाली रेखा गौतम को उनके पति दिनेश 22 अगस्त को बिल्हौर में एक कथित महिला डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे। यह महिला खुद को सेवानिवृत्त डॉक्टर बताकर मरीजों का इलाज करती थी। 24 अगस्त को उसने अपने तीन सहयोगियों के साथ मिलकर रेखा का गर्भपात किया।
गृह वापसी के कुछ घंटों बाद ही रेखा को पेट में असहनीय दर्द होने लगा। परिजन घबराकर उन्हें कानपुर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान रेखा की छोटी आंत कट गई थी, जिससे गंभीर संक्रमण और आंतरिक रक्तस्राव हो गया। तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर रेखा की जान नहीं बचा सके।
जांच में निकला बड़ा खुलासा

महिला की मौत की खबर जब एसडीएम बिल्हौर संजीव कुमार दीक्षित तक पहुंची तो उन्होंने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच में साफ हुआ कि जिस महिला ने गर्भपात किया, उसके पास कोई मेडिकल डिग्री या मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट नहीं था। वह बिना किसी लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के पिछले लंबे समय से क्लीनिक चला रही थी।
एसडीएम के निर्देश पर सीएचसी अधीक्षक डॉ. धर्मेंद्र राजपूत ने मौके पर छापेमारी की। जांच टीम को क्लीनिक से बड़ी मात्रा में दवाइयां, कॉटन और ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाला मेडिकल सामान बरामद हुआ। तत्काल प्रभाव से अवैध क्लीनिक को सील कर दिया गया और आगे की रिपोर्ट एसडीएम तथा सीएमओ को भेज दी गई है।
अवैध क्लीनिकों पर कार्यवाही क्यों नहीं?
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण इलाकों में चल रहे इन अवैध अस्पतालों और क्लीनिकों पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिल्हौर, शिवराजपुर और आसपास के क्षेत्रों में दर्जनों झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम लोगों का इलाज कर रहे हैं। इनमें से कई के पास न तो मेडिकल की पढ़ाई है और न ही किसी तरह का लाइसेंस।
लोगों का आरोप है कि कई बार अधिकारियों को शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता तक सीमित रही। यही वजह है कि झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ होकर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
ग्रामीणों में आक्रोश और दहशत
रेखा गौतम की मौत से पूरे क्षेत्र में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना कोई पहली नहीं है। इससे पहले भी अवैध क्लीनिकों पर इलाज के दौरान कई लोग गंभीर रूप से बीमार पड़े हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में लोग चुप रह जाते हैं, क्योंकि वे कार्रवाई की उम्मीद ही छोड़ चुके हैं।
इस घटना के बाद ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बिल्हौर और आसपास के सभी अवैध क्लीनिकों की सूची बनाकर तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि आगे किसी और परिवार को ऐसी त्रासदी न झेलनी पड़े।
स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी
ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का फायदा उठाकर झोलाछाप डॉक्टर और अवैध क्लीनिक फल-फूल रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, दवाओं का अभाव और दूर-दराज गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों का न पहुंच पाना इसका बड़ा कारण है।
यदि स्वास्थ्य विभाग समय रहते ऐसी गतिविधियों पर सख्ती से अंकुश नहीं लगाता, तो यह सिलसिला आगे और खतरनाक रूप ले सकता है।
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इतनी शक्ति करने के बाद भी बहुत सारी क्लीनिक अवैध तरीके से चल रही है।